मध्य प्रदेश के प्रमुख आदिवासी नृत्य
दोस्तों इस पोस्ट में आप मध्यप्रदेश के आदिवासी जनजाति नृत्य के बारे में जानेंगे अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगे और जानकारी पसंद आया तो हमारे पेज को फॉलो करना ना भूलें
(1).करमां | मंडला के आसपास के क्षेत्रों में गोंद और बैगा आदिवासियों का प्रमुख नृत्य है |
(2).पर धोनी | यह बैगा आदिवासियों द्वारा विवाह के अवसर पर बारात आगवानी के लिए किए जाने वाला लोक नृत्यहे |
(3).दशहरा | बैगा आदिवासियों यद्यपि दशहरा त्योहार नहीं मनाते हैं किंतु विजयदशमी से प्रारंभ होने के कारण इस नृत्य का नाम दूसरा नहीं पड़ा |
(4).भगोरिया नृत्य | मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर क्षेत्र में निवास करने वाले भीलो का भगोरिया नृत्य, भगोरिया हाट में होली अथवा अन्य अवसरों पर युवक युक्तियों द्वारा किया जाता है |
(5). हुलकी | पाटा मुरिया आदिवासियों में प्रचलित है इसमें नृत्य के साथ ही इसके गीत भी विशेष आकर्षण रखते हैं |
(6). थापटी नाच | थापटी कोरकु का पारंपरिक लोक हे नृत्य के साथ में कोर को स्त्री पुरुष से संबोधित करते हैं |
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(7).शैला नृत्य | यह शुद्धत: जनजातियों का नृत्य है यह नृत्य आपसी प्रेम एवं भाईचारे का प्रतीक है शैला का अर्थ शैला ठंडा होता है |
(8). अटारी नृत्य | यह बघेलखंड के भूमिया बेगा का नृत्य है यह नृत्य वर्तुलाकार होता है |
(9). ढाँढल | यह नृत्य कौरकु आदिवासियों द्वारा किया जाता है. |
(10).भड़म नृत्य | इसे भंगम नृत्य भी कहते हैं भारिया जनजाति में यह मुख्यता विवाह के अवसर पर किया जाता है |
(11). सेतम | भारिया महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है इसमें हाथों में मंजिरा लेकर युवतियों के दो तल आमने सामने खड़े होते हैं और बीच में पुरुष ढोल बजाता है |
(12).सरहुल | सरहुल उरांव जनजाति का अनुष्ठानिक नृत्य है और उरांव वर्ष में चैत्र मास की पूर्णिमा पर शाल वृक्ष की पूजा का आयोजन करते हैं और वृक्ष के आसपास नृत्य करते हैं |
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